Vaibhav Lakshmi Vrat Katha PDF: Laxmi Puja Vidhi, Aarti, Mantra, Udyapan Vidhi

There are many forms of Goddess Laxmi worshiped in Hinduism. Some are known as Dhanalaskhmi, Vaibhav Lakshmi, Aishwarya Lakshmi, etc. It is believed that if any woman fasts and warships “Goddess Vaibhav Lakhsmi” every Friday then her wishes will be fulfilled quickly. This fast can be done by Men and Women for Goddess Lakshmi. If you want to know more about Vaibhav Lakshmi Vrat Katha PDF along with the Puja Vidhi, Aarti, Mantra and Udyapan Vidhi then follow this article ahead.

Vaibhav Lakshmi Vrat Katha

You have to keep Vaibhav Lakshmi Vrat with the entire devotion every Friday. The classical method suggests you perform “वैभव लक्ष्मी व्रत कथा” on Friday and your emotions and Shradha play an important role. You can break Fast with different items such as Kheer. If you are going through hard times and your financial status is not good then you can perform this ritual to save yourself. The problems will be eliminated after having a fast on Friday for Vaibhav. There is no gender issue, men and women both can run fast and perform Goddess Vaibhav Lakhsmi Pooja. Fasting is the most important element in Sanatan Dharma followed by many people.

Vaibhav Lakshmi Vrat Katha PDF Download – Overview

PDF Name Vaibhav Lakshmi Vrat Katha
Language Hindi
No. of Pages 1-4
PDF Size 342 KB
Category Religion & Spirituality
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Vaibhav Lakshmi Vrat Katha (वैभव लक्ष्‍मी व्रत कथा)

किसी शहर में लाखों लोग रहते थे। सभी अपने-अपने कामों में रत रहते थे। किसी को किसी की परवाह नहीं थी। भजन-कीर्तन, भक्ति-भाव, दया-माया, परोपकार जैसे संस्कार कम हो गए। शहर में बुराइयां बढ़ गई थीं। शराब, जुआ, रेस, व्यभिचार, चोरी-डकैती वगैरह बहुत से गुनाह शहर में होते थे। इनके बावजूद शहर में कुछ अच्छे लोग भी रहते थे। ऐसे ही लोगों में शीला और उनके पति की गृहस्थी मानी जाती थी। शीला धार्मिक प्रकृति की और संतोषी स्वभाव वाली थी। उनका पति भी विवेकी और सुशील था। शीला और उसका पति कभी किसी की बुराई नहीं करते थे और प्रभु भजन में अच्छी तरह समय व्यतीत कर रहे थे। शहर के लोग उनकी गृहस्थी की सराहना करते थे। देखते ही देखते समय बदल गया। शीला का पति बुरे लोगों से दोस्ती कर बैठा। अब वह जल्द से जल्द करोड़पति बनने के ख्वाब देखने लगा। इसलिए वह गलत रास्ते पर चल पड़ा। उसकी हालत रास्ते पर भटकते भिखारी जैसी हो गई थी। शराब, जुआ, रेस, चरस-गांजा वगैरह बुरी आदतों में शीला का पति भी फंस गया। दोस्तों के साथ उसे भी शराब की आदत हो गई। इस प्रकार उसने अपना सब कुछ रेस-जुएं में गवां दिया।

शीला को पति के बर्ताव से बहुत दुःख हुआ, किंतु वह भगवान पर भरोसा कर सबकुछ सहने लगी। वह अपना अधिकांश समय प्रभु भक्ति में बिताने लगी। अचानक एक दिन दोपहर को उनके द्वार पर किसी ने दस्तक दी। शीला ने द्वार खोला तो देखा कि एक मांजी खड़ी थी। उसके चेहरे पर अलौकिक तेज निखर रहा था। उनकी आंखों में से मानो अमृत बह रहा था। उसका भव्य चेहरा करुणा और प्यार से छलक रहा था। उसको देखते ही शीला के मन में अपार शांति छा गई। शीला के रोम-रोम में आनंद छा गया। शीला उस मांजी को आदर के साथ घर में ले आई। घर में बिठाने के लिए कुछ भी नहीं था। अतः शीला ने सकुचाकर एक फटी हुई चद्दर पर उसको बिठाया। मांजी बोलीं- क्यों शीला! मुझे पहचाना नहीं? हर शुक्रवार को लक्ष्मीजी के मंदिर में भजन-कीर्तन के समय मैं भी वहां आती हूं।’ इसके बावजूद शीला कुछ समझ नहीं पा रही थी। फिर मांजी बोलीं- ‘तुम बहुत दिनों से मंदिर नहीं आईं अतः मैं तुम्हें देखने चली आई।’

मांजी के अति प्रेम भरे शब्दों से शीला का हृदय पिघल गया। उसकी आंखों में आंसू आ गए और वह बिलख-बिलखकर रोने लगी। मांजी ने कहा- ‘बेटी! सुख और दुःख तो धूप और छांव जैसे होते हैं। धैर्य रखो बेटी! मुझे तेरी सारी परेशानी बता।’ मांजी के व्यवहार से शीला को काफी संबल मिला और सुख की आस में उसने मांजी को अपनी सारी कहानी कह सुनाई। कहानी सुनकर मांजी ने कहा- ‘कर्म की गति न्यारी होती है। हर इंसान को अपने कर्म भुगतने ही पड़ते हैं। इसलिए तू चिंता मत कर। अब तू कर्म भुगत चुकी है। अब तुम्हारे सुख के दिन अवश्य आएंगे। तू तो मां लक्ष्मीजी की भक्त है। मां लक्ष्मीजी तो प्रेम और करुणा की अवतार हैं। वे अपने भक्तों पर हमेशा ममता रखती हैं। इसलिए तू धैर्य रखकर मां लक्ष्मी जी का व्रत कर। इससे सब कुछ ठीक हो जाएगा।’ शीला के पूछने पर मांजी ने उसे व्रत की सारी विधि भी बताई। मांजी ने कहा- ‘बेटी! मां लक्ष्मीजी का व्रत बहुत सरल है। उसे ‘वरदलक्ष्मी व्रत’ या ‘वैभव लक्ष्मी व्रत’ कहा जाता है। यह व्रत करने वाले की सब मनोकामना पूर्ण होती है। वह सुख-संपत्ति और यश प्राप्त करता है।’

शीला यह सुनकर आनंदित हो गई। शीला ने संकल्प करके आंखें खोली तो सामने कोई न था। वह विस्मित हो गई कि मांजी कहां गईं? शीला को तत्काल यह समझते देर न लगी कि मांजी और कोई नहीं साक्षात्‌ लक्ष्मीजी ही थीं। दूसरे दिन शुक्रवार था। सवेरे स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनकर शीला ने मांजी द्वारा बताई विधि से पूरे मन से व्रत किया। आखिरी में प्रसाद वितरण हुआ। यह प्रसाद पहले पति को खिलाया। प्रसाद खाते ही पति के स्वभाव में फर्क पड़ गया। उस दिन उसने शीला को मारा नहीं, सताया भी नहीं। शीला को बहुत आनंद हुआ। उनके मन में ‘वैभवलक्ष्मी व्रत’ के लिए श्रद्धा बढ़ गई।शीला ने पूर्ण श्रद्धा-भक्ति से इक्कीस शुक्रवार तक ‘वैभवलक्ष्मी व्रत’ किया। इक्कीसवें शुक्रवार को मांजी के कहे मुताबिक उद्यापन विधि कर के सात स्त्रियों को ‘वैभवलक्ष्मी व्रत’ की सात पुस्तकें उपहार में दीं। फिर माताजी के ‘धनलक्ष्मी स्वरूप’ की छवि को वंदन करके भाव से मन ही मन प्रार्थना करने लगीं- ‘हे मां धनलक्ष्मी! मैंने आपका ‘वैभवलक्ष्मी व्रत’ करने की मन्नत मानी थी, वह व्रत आज पूर्ण किया है। हे मां! मेरी हर विपत्ति दूर करो। हमारा सबका कल्याण करो। जिसे संतान न हो, उसे संतान देना। सौभाग्यवती स्त्री का सौभाग्य अखंड रखना। कुंवारी लड़की को मनभावन पति देना। जो आपका यह चमत्कारी वैभव लक्ष्मी व्रत करें, उनकी सब विपत्ति दूर करना। सभी को सुखी करना। हे मां आपकी महिमा अपार है।’ ऐसा बोलकर लक्ष्मीजी के ‘धनलक्ष्मी स्वरूप’ की छवि को प्रणाम किया। व्रत के प्रभाव से शीला का पति अच्छा आदमी बन गया और कड़ी मेहनत करके व्यवसाय करने लगा। उसने तुरंत शीला के गिरवी रखे गहने छुड़ा लिए। घर में धन की बाढ़ सी आ गई। घर में पहले जैसी सुख-शांति छा गई। ‘वैभवलक्ष्मी व्रत’ का प्रभाव देखकर मोहल्ले की दूसरी स्त्रियां भी विधिपूर्वक ‘वैभवलक्ष्मी व्रत’ करने लगीं।

Vaibhav Laxmi Udyapan Vidhi

There are a few points that need to be noticed for successful Vrat. This is called the Vaibhav Lakshmi Udhyapan method:-

  1. Keep pure feeling in mind before keeping Vrat. Prepared all the ingredients so that you can easily do pooja.
  2. You have to make Akshat on a Wooden or copper Kalash filled with water. Then, installed it.
  3. Now take a small bowl of Mental of Kalash and put five grains, coin, Jewelry, or silver coin.
  4. A photo or a statue of Mata Lakshmi was installed.
  5. Put pure cow’s ghee in a lamp with a wick and incense stick.
  6. After all this, meditate on Goddess Lakshmi and invite her to your worship place.
  7. Now concentrate on the mind and worship goddess Lakshmi ji.

Vaibhav Lakshmi Mata Pooja Vidhi

You have to follow Pooja Vidhi to complete your Maa Vaibhav Laxmi Vrat with entire rituals. The following steps are;

  • You have to pay obeisance with reverence to Goddess Lakshmi.
  • Now stand in front of the Idol of Mata Vaibhav Lakshmi after taking a bath. Pray with entire devotion and emotion.
  • Then, you need to chant, O Mother, please fulfill our wishes (say whatever you wish). Remove all our troubles. Do good to all of us. You can chant aarti or Mantras and other wishes that you want.
  • Remove all the troubles and give a child whosoever want or give a desirable husband to a virgin girl, etc. These all are wish lines.

Maa Vaibha Laxmi Aarti

जय लक्ष्मी माता जय-जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशदिन सेवत हर विष्णु विधाता।

ब्राह्मणी, रुद्राणी, कमला तू ही जगमाता।

सूर्य, चन्द्रमा ध्यावत नारद ऋषि गाता।

जय लक्ष्मी माता जय-जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशदिन सेवत हर विष्णु विधाता।

दुर्गा रूप निरंजनी सुख संपति दाता।

जो कोई तुमको ध्यावत ऋद्धि-सिद्धि पाता।

जय लक्ष्मी माता जय-जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशदिन सेवत हर विष्णु विधाता।

तू ही पाताल बसंती तू ही शुभ दाता।

जय लक्ष्मी माता जय-जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशदिन सेवत हर विष्णु विधाता।

कर्म प्रभाव प्रकाशक जग निधि के त्राता।

जिस घर थारो वासा तिस घर में गुण आता।

जय लक्ष्मी माता जय-जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशदिन सेवत हर विष्णु विधाता।

कर सके सोई कर ले मन नहीं घबराता।

तुम बिन यज्ञ न होवे वस्त्र न कोई पाता।

जय लक्ष्मी माता जय-जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशदिन सेवत हर विष्णु विधाता।

खान-पान का वैभव तुम बिन नहीं आता।

शुभ गन सुंदर मुक्ता क्षीर निधि जाता।

जय लक्ष्मी माता जय-जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशदिन सेवत हर विष्णु विधाता।

रत्न चतुर्दश तोकू कोई नहीं पाता।

श्री लक्ष्मीजी की आरती जो कोई नर गाता।

जय लक्ष्मी माता जय-जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशदिन सेवत हर विष्णु विधाता।

उर उमंग अति उपजे पाप उतर जाना।

स्थिर चर जगत रचाये शुभ कर्म नर लाता।

जय लक्ष्मी माता जय-जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशदिन सेवत हर विष्णु विधाता।

राम प्रताप मैया की शुभ दृष्टि चाहता।

जय लक्ष्मी माता जय-जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशदिन सेवत हर विष्णु विधाता।

।।इति श्री लक्ष्मीजी की आरती।।

।।जय बोलो माता लक्ष्मीजी की जय हो।।

मां वैभव लक्ष्मी के मंत्र – Mata Vaibhav Lakshmi Mantra

सुख-समृद्धि मंत्र
– या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
– या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
– या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
– सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥

रोजगार में बरकत के लिए मंत्र
– यत्राभ्याग वदानमान चरणं प्रक्षालनं भोजनं सत्सेवां पितृ देवा अर्चनम् विधि सत्यं गवां पालनम
– धान्यांनामपि सग्रहो न कलहश्चिता तृरूपा प्रिया: दृष्टां प्रहा हरि वसामि कमला तस्मिन ग्रहे निष्फला:

देवी लक्ष्मी के सरल मंत्र
इन मंत्रों का रोजाना जाप करने से माता की कृपादृष्टि भक्त पर जल्द होती है.
– ॐ महालक्ष्म्यै नमः
– श्री महालक्ष्म्यै नमः

देवी लक्ष्मी के शीघ्र फलदाई व उच्चारण में कठिन मंत्र
– ऊँ श्रीं श्रियै नमः
– श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा
– ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्म्यै नमः

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