Many famous and auspicious Hindu festivals arrive in October & December like Dussherra, Diwali, Chath Pooja, Govardhan Puja, Bhai Dooj, etc. छठ पूजा (छठी मैया की पूजा) is one of the most famous festivals of Hinduism. Every year, this festival comes after one week of Diwali. The Festival of Chath Pooja is celebrated with various rituals, pooja, and fasting. Many women of Purvanchal (Eastern Region) observed strict fasting and standing in the water, reciting prayers. The Celebration of Chhath Puja runs for 4 days and these days are considered to be the God Sun, the source of all powers.
Chhath Puja 2025 Date
In this section, we have provided all the basic information regarding Chhath Puja (छठ पूजा) 2025. In the Hindu religion, Chhath Puja is a major Hindu festival. This festival is especially celebrated in the state of Bihar and Easter Uttar Pradesh on a large scale. The Festival of Chhath Puja is dedicated to the “God Sun”. An ancient Hindu festival honoring Lord Surya (Surya) and Goddess Chhathi Maiya is called Chhath Puja or Surya Shashthi.
This festival, which is also known as Chhath Parva, Dala Chhath, Chhetri, or Dala Puja, is observed via four days of cultural practices that include giving sweets to the sun, taking a holy bath, and abstaining from all food and liquids for Nirjal Vrat. It is mostly connected to Jharkhand, Bihar, and Uttar Pradesh. As per the Hindu calendar, Chhath falls on the sixth day of Kartik Shukla Shashthi, the month of Kartik. The date of Chhath Puja in 2025 is Monday, October 25. Below check the Chhathi Maiya Vrat Katha and Puja Vidhi details.
Chhathi Maiya Vrat Katha
On the day of Chhath Puja, all the women recite छठी मैया की व्रत कथा. In the below section, you can read the Full Vrat Katha of Chhathi Maiya in Hindi Languages:-
पौराणिक मान्यता के अनुसार राजा प्रियव्रत और उनकी पत्नी मालिनी संतान सुख से वंचित थे। इस बात से राजा-रानी काफी दुखी रहते थे। एक दिन उन्होंने संतान प्राप्ति के लिए महर्षि कश्यप से पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया। महर्षि ने यज्ञ संपन्न करने के बाद मालिनी को खीर दी। खीर का सेवन करने के बाद मालिनी गर्भवती हो गई और 9 महीने बाद उसे एक पुत्र की प्राप्ति हुई लेकिन दुर्भाग्य से उसका पुत्र मृत पैदा हुआ। ये देखकर राजा-रानी बहुत दुखी हो गए और निराशा की वजह से राजा ने आत्महत्या करने का मन बना लिया। परंतु जैसे ही राजा आत्महत्या करने लगे तो उनके सामने भगवान की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुईं और उन्होने कहा कि मैं षष्ठी देवी हूं और मैं लोगों को पुत्र सुख प्रदान करती हूं। जो व्यक्ति सच्चे मन से मेरी पूजा करता है उसकी मैं सभी मनोकामना पूर्ण करती हूं।
यदि राजन तुम मेरी विधि विधान से पूजा करोगे तो मैं तुम्हें पुत्र रत्न प्राप्ति का वरदान दूंगी। देवी के कहे अनुसार राजा प्रियव्रत ने कार्तिक शुक्ल की षष्ठी तिथि को देवी षष्ठी की पूजा की। इस पूजा के फलस्वरूप रानी मालिनी एक बार फिर से गर्भवती हुई और ठीक 9 महीने बाद उन्हें एक संदुर पुत्र की प्राप्ति हुई।
कहते हैं तभी से छठ पर्व मनाए जाने की परंपरा शुरू हुई। इस पर्व से जुड़ी एक और कथा है जिसके अनुसार महाभारत काल में जब जुए में पांडव अपना सारा राजपाट हार गए थे, तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा था। द्रौपदी के व्रत से प्रसन्न होकर षष्ठी देवी ने पांडवों को उनका राजपाट वापस दिला दिया था। वहीं एक अन्य पौराणिक कथा के मुताबिक, महाभारत काल में सूर्य पुत्र कर्ण ने सबसे पहले सूर्य देव की पूजा की थी और कहा जाता है कि घंटों पानी में खड़े होकर कर्ण सूर्य देव को अर्घ्य देता था। सूर्य देव की कृपा से कर्ण एक महान योद्धा बना था। आज भी छठ में अर्घ्य दान की यही परंपरा चली आ रही है।
छठ पूजा विधि (Chhath Puja Vidhi)
Chhath Mahaparva lasts for four days. Which starts with Nahay Khay on the third day of Bhai Dooj after Diwali and ends after offering Arghya to the rising sun on the fourth and last day. The Parv of Chhathh Pooja celebrates by observing Pooja. For performing the Chhath Puja you must follow the छठ पूजा विधि step by steps as we mentioned below:-
छठ पूजा से पहले सारी सामग्री प्राप्त करें और सूर्य देव को अर्घ्य दें;
- 3 बड़ी बांस की टोकरियाँ, 3 बांस या पीतल से बने सूप, थाली, दूध और गिलास
- चावल, लाल सिन्दूर, दीपक, नारियल, हल्दी, गन्ना, सुथनी, सब्जी और शकरकंद
- नाशपाती, बड़े नींबू, शहद, पान, साबुत झुंड, कारवां, कपूर, चंदन और मिठाई
- प्रसाद के रूप में ठेकुआ, मालपुआ, खीर-पूरी, सूजी का हलवा, चावल के लड्डू लें.
Chhath Puja Arghya Time 2025
Event | Date | Date | Muhurat |
Nahaaye Khaye | 25 October 2025 | 25 October 2025 |
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Kharna and Lohanda | 26 October 2025 | 26 October 2025 |
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Sandhya Argha | 27 October 2025 | 27 October 2025 |
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Usha Arghya | 28 October 2025 | 28 October 2025 |
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छठ पूजा के दिन अर्घ्य देने की विधि
- एक बांस के सूप में केला एवं अन्य फल, प्रसाद, ईख आदि रखकर उसे पीले वस्त्र से ढक दें।
- इसके बाद दीप जलाकर सूप में रखें और सूप को दोनों हाथों में लेकर अस्त होते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- अर्घ्य देते समय सूर्य मंत्र (ॐ एहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते। अनुकम्पया मां भक्त्या गृहाणार्घ्य दिवाकर:) का जाप करें।